प्रदूषण से बढ़ता मधुमेह का खतरा
सुमन कुमार
प्रदूषण और मधुमेह में सीधा संबंध क्या है? भारत के संदर्भ में देखें तो इस बारे में तो अब तक किसी अध्ययन के बारे में भी किसी ने नहीं सोचा मगर प्रदूषण और मधुमेह दोनों ही मामलों में गंभीर स्थिति का सामना कर रहे चीन के शोधकर्ताओं ने इस विषय पर अध्ययन करना शुरू कर दिया है और इसके नतीजे चिंता में डालने वाले हैं।
दरअसल ऐसे ही एक अध्ययन का दावा है कि लंबे समय तक प्रदूषित वायु में सांस लेने से मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। ये अध्ययन हाल ही में चीन में किया गया है। मधुमेह से दुनियाभर में काफी आर्थिक और स्वास्थ्य बोझ बढ़ता है। विश्व भर में चीन में मधुमेह के सबसे अधिक मामले पाए जाते हैं।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि विकासशील देशों में वायु प्रदूषण और मधुमेह के बीच के संबंध के बारे में विरले ही कोई जानकारी उपलब्ध है, खासतौर से चीन में, जहां पीएम 2.5 का स्तर अधिक है।
पीएम 2.5 या सूक्ष्म कण वायु प्रदूषक होते हैं जिनके बढ़ने पर लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। पीएम 2.5 कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि इससे दृश्यता कम हो जाती है।
चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज फुवई हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने अमेरिका स्थित एमरॉय विश्वविद्यालय के साथ मिलकर लंबे समय तक पीएम 2.5 के संपर्क में रहने वाले 88,000 से अधिक चीनी वयस्कों से एकत्रित आंकड़ों के आधार पर प्रदूषण और मधुमेह के बीच संबंध का विश्लेषण किया।
शोध के नतीजों से पता चला कि लंबे समय तक पीएम 2.5 के 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक बढ़ने से मधुमेह का खतरा 15.7 प्रतिशत तक बढ़ गया। यह शोध पत्रिका एनवॉयरमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित हुआ है।
इस बारे में दिल्ली के जाने माने डायबेटोलॉजिस्ट डॉक्टर अनूप मिश्रा ने कहा कि ये पहली बार है जब प्रदूषण और मधुमेह के बीच आपसी संबंध होने की वैज्ञानिक रूप से पुष्टि हुई है। अब तक इस बारे में अनुमान ही लगाए जा रहे थे मगर अब इस बारे में वैज्ञानिक शोध मौजूद है। भले ही ये अध्ययन चीन में हुआ हो मगर ये भारत के मामले में भी सही साबित हो सकता है क्योंकि चीन और भारत की परिस्थितियां कमोबेस एक जैसी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस बारे में सरकारों को जल्द सतर्क होने की जरूरत है क्योंकि ये सीधे-सीधे उनसे ही जुड़ा विषय है।
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